जाति जनगणना कराएगी केंद्र सरकार, मोदी कैबिनेट की मीटिंग में बड़ा फैसला

 मोदी सरकार कराएगी जाति जनगणना- अश्विनी वैष्णव

         केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया है. उन्होंने कहा, 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई है. कांग्रेस ने जाति जनगणना की जगह जाति सर्वेक्षण कराया. यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टिकोण से जाति सर्वेक्षण किया है.

         केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जाति की जनगणना को मूल जनगणना में ही सम्मिलित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट ने फैसला किया है कि जाति की जनगणना को आने वाली जनगणना में सम्मिलित किया जाए। उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना को कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने सिर्फ अपने लाभ के लिए सीमित रखा है। 

           विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, की ओर से लंबे समय से जाति जनगणना की मांग की जाती रही है। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि जाति आधारित जनगणना की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो सकती है। हालांकि, पूरी जनगणना प्रक्रिया को पूरा होने में करीब एक साल का समय लगेगा, इसलिए इसके अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आने की संभावना है। गौरतलब है कि देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी और इसे सामान्यतः हर 10 साल में कराया जाता है। 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इसमें देरी हो गई।

जाति जनगणना की घोषणा के बाद राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अंततः सरकार ने इस मुद्दे पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इसका समर्थन करती है, लेकिन सरकार को इसके लिए एक स्पष्ट समयसीमा तय करनी चाहिए।

किसानों के लिए भी यह महत्वपूर्ण घोषणा की गई

              मोदी सरकार ने गन्ना किसानों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है। गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) बढ़ा दिया गया है। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि चीनी सीजन 2025-26 के लिए गन्ने का FRP 355 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक न्यूनतम मूल्य है, इससे कम दर पर गन्ना नहीं खरीदा जा सकता।

शिलॉन्ग से सिलचर कॉरिडोर को मंजूरी

पूर्वोत्तर भारत के लिए विकास की नई रफ्तार: सिलचर-शिलांग हाई स्पीड कॉरिडोर को मिली मंजूरी

भारत सरकार द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र के समावेशी विकास के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में हाल ही में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिससे असम और मेघालय को जोड़ने वाला एक उच्च गति वाला चार लेन हाईवे बनने जा रहा है।

मुख्य बिंदु:

परियोजना का नाम: सिलचर-शिलांग हाई स्पीड कॉरिडोर

लंबाई: 166.8 किलोमीटर

संरचना: चार लेन हाईवे

अनुमानित लागत: ₹22,864 करोड़

राज्यों को लाभ: असम और मेघालय

मंजूरी: केंद्रीय कैबिनेट द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में

प्रभाव और लाभ:

पूर्वोत्तर क्षेत्र में यातायात सुगमता

व्यापारिक गतिविधियों को मिलेगा नया आयाम

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

क्षेत्रीय पर्यटन को मिलेगा प्रोत्साहन

स्थानीय रोजगार के अवसरों में वृद्धि

निष्कर्ष:

यह परियोजना न केवल भौतिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी, बल्कि यह पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी मील का पत्थर साबित होगी। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस प्रकार की योजनाएं 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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